क्‍या होता है सहकारी विपणन - What is Co-operative Marketing in Hindi

सहकारी विपणन (Co-operative Marketing) का आशय एक ऐसी व्‍यवस्‍था से है, जहां किसानों व उत्‍पादकों का एक समूह या वर्ग जो अपनी उत्‍पादित की गई वस्‍तुओं को उपभोक्‍ताओं तक पहुचांता है। आईये जानते हैं क्‍या होता है सहकारी विपणन - What is Co-operative Marketing in Hindi 

क्‍या होता है सहकारी विपणन - What is Co-operative Marketing in Hindi

क्‍या होता है सहकारी विपणन - What is Co-operative Marketing in Hindi 

विपणन (Marketing) उत्‍पादान का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है, किसी भी वस्‍तु के उत्‍पादन की सम्‍पूर्ण क्रिया तब तक नहीं हो सकती जब तक उसके विपणन (मार्केटिंग) की व्‍यवस्‍था समुचित रूप से नहीं होती है। किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्‍य देकर व सही समय पर उपजाई की गई वस्‍तु को उपभोक्‍ताओं द्वारा क्रय कर लेने की क्रिया सहकारी विपणन (Co-operative Marketing) कहलाती है। इससे किसानों को प्रोत्‍साहन मिलता है और इसी कारण सहकारी विपणन की अवधारणा का जन्‍म हुआ।

विपणन के उद्देश्‍य (Purpose of Marketing)

विपणन के प्रमुख उद्देश्‍य निम्‍नलिखित हैं।
भारत में सहकारी आन्‍दोलन के पीछे दो उद्देश्‍य थे। पहला, किसानों को कृषि कार्यों के लिए कम ब्‍याज पर ऋण उपलब्‍ध करवाना, दूसरा, किसानों को साहूकारों के पंजे से छुड़ाना, कृषकों की सौदा करने की शक्ति को मजबूत करना, अनावश्‍यक मध्‍यस्‍थों को हटाना, सदस्‍यों के उपज के लिए उचित मूल्‍य प्राप्‍त करना, आर्थिक समितियों का वित्‍तीयन, मूल्‍यों में स्थिरता लाना, वस्‍तुओं का वर्गीकरण, प्रमाणीकरण और यातायात की सुविधा प्रदान करना रहा है। वर्तमान समय में सहकारी विपणन ढाँचा निम्‍न प्रकार है - 

सहकारी विपणन तंत्र (Co-Operative Marketing System)

  1. नेफेड इसका पूरा नाम राष्‍ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (National Agricultural Co-operative Marketing Federation of India Ltd.) है। नेफेड की स्‍थापना वर्ष 1947 में कृषि उपजों के सहकारी विपणन हेतु की गई। 
  2. राज्‍य सहकारी विपणन समितियां यह राज्‍य स्‍तर पर कार्यशील निकाय है।
  3. केंद्रीय विपणन समितियां इनका कार्य क्षेत्र जिला तथा अन्‍तर जिला व्‍यापार होता है।
  4. प्राथमिक विपणन समितियां ये मण्डियों अथवा थोक संग्रह केंद्रों पर कार्य करती हैं।
  5. ट्राइफेड भारत सरकार द्वारा अगस्‍त, 1987 में ट्राइफेड की स्‍थापना जनजातीय समुदाय का शोषण रोकने व उनके द्वारा निर्मित वस्‍तुओं का उचित मूल्‍य दिलाने हेतु की गई विशेषकर निजी-व्‍यापारियों के शोषण से छुटकारा दिलाने के लिए इसने अप्रैल, 1988 से कार्य करना प्रारम्‍भ कर दिया था। इसको पेड़ों तथा वनों के उत्‍पादों के एकत्रीकरण, प्रसंस्‍करण, भण्डारण और विकास की प्रमुख एजेंसी भी घोषित किया गया है। यह अनाजों की सरकारी खरीद में सरकारी एजेण्‍ट की भूमिका निभाती

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